नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण जहां व्यावसायिक गतिविधियां थम गई हैं, वहीं अनेक सरकारी काम भी लटक गए हैंसरकार ने आधार को मतदाता सूची जो?ने की मुहिम शुरू करने का फैसला किया था, पर महामारी के कारण ये काम लटक गया हैसंसद को समय से पहले स्थगित करना प? और इस संबंध में लाया जाना वाला बिल नहीं लाया जा सका।आधार को मतदाता सूची से संबद्ध करने के लिए जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 और आईडी आधार कानून, 2016 में बदलाव करना था। इससे पूर्व कानून मंत्रालय ने मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने की अनुमति दे दी थी। चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को अगस्त 2019 में ऐसा प्रस्ताव भेजा था, जिसे कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मान लिया था ।चुनाव आयोग ने कहा था कि 12 अंक वाले आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को लिंक करने के लिए उसे कानूनी अधिकार चाहिए। लेकिन इस बीच कोराना आ गया और सरकार का ध्यान उस पर फोकस हो गया। सरकारी सूत्र ने कहा कि यह कार्यवाही अब कोरोना थमने के बाद ही शुरू की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि आधार से जो?ने पर फर्जी वोटरों को सूची से हटाया जा सकेगा।30 करोड़ मतदाता पहचान पत्र आधार से जुड़े गौरतलब है कि चुनाव आयोग 30 करोड़ से ज्यादा लोगों के मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ चुका है। फरवरी 2015 में शुरू हुई इस कवायद पर चुनाव आयोग को शीर्ष अदालत के फैसले के बाद रोक लगानी पड़ी थी। अगस्त में सर्वोच्च न्यायालय ने आधार का इस्तेमाल केवल राशन, एलपीजी और मिट्टी का तेल जैसी सब्सिडी योजनाओं के लिए ही मंजूर किया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए आधार अनिवार्य है
कोरोना से थमी देश की रफ्तार, आधार से वोटर आईडी कार्ड जोड़ने की मुहिम लटकी